Madhu Arora

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लेखनी प्रतियोगिता जीवन गाड़ी

जीवन गाड़ी

जीवन गाड़ी हिचकोले खाए,
बीच भंवर में लटकी जाए।
रोज-रोज इम्तहान है लेती,
चैन से वह जीने ना देती।

जीवन गाड़ी चलती जाए।

खट्टे मीठे अनुभव पाए,
तार चढ़ाव जीवन में आए।
सुख के लंहे याद ना रहते,
दुख के काटे नहीं है कटते।

जीवन गाड़ी चलती जाए।

धीरे धीरे रंग निखरता,
जीवन का अनुभव है बढ़ता।
तप तप कर कुंदन बन जाता,
परेशानियों से लड़ना आ जाता।

जीवन गाड़ी चलती जाए।

अजब गजब परेशानी सारी,
आती देखो बारी-बारी।
वक्त ने देखो कितना सताया,
कभी हंसाया कभी रुलाया।

जीवन गाड़ी चलती जाए।

झटके रोज देती है गाड़ी,
इम्तिहान लेती बारी-बारी।
कहीं बिगड़े काम बनाए ,
कहीं पहेली जीवन की उलझाए।

जीवन गाड़ी चलती जाए।

कभी बैठे-बैठे मिल जाए,
सुहाना सफर बहुत कहाए।
फूलों सी हंसी महकाए,
एक मधुर मुस्कान सजाए।

जीवन गाड़ी चलती जाए।

           रचनाकार ✍️
           मधु अरोरा
         

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5 Comments

Haaya meer

17-Nov-2022 04:09 PM

Amazing

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Sachin dev

17-Nov-2022 11:46 AM

Well done ✅

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Gunjan Kamal

16-Nov-2022 08:37 AM

Nice 👍🏼

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